What is Digital Computer in Hindi | डिजिटल कंप्यूटर क्या है | Tech Karya

By | December 27, 2022

दोस्तों आज इस पोस्ट में, मैंने Digital Computer विषय में विस्ताररूप से वर्णन किया है जिसमें, डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer in Hindi), डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार, डिजिटल कंप्यूटर की विशेषताएं, कंप्यूटर का वर्गीकरण तथा कंप्यूटर का इतिहास क्या है? आदि विषयों की जानकारी शेयर की हैं, तो चलिये शुरुआत करते है एवं सबसे पहले जानते है कि, Digital Computer Kya Hota Hai?

अगर आप कंप्यूटर के बारे में डिटेल में जानना चाहते हो तो डिजिटल कंप्यूटर क्या है? (What Is Digital Computer In Hindi) का यह पोस्ट पढ़ सकते हो। आपने अधिकतर PC (Personal Computer) या कम्प्युटर सिस्टम के बारे मे सुना ही होगा, परंतु जो लोग कंप्यूटर सिस्टम के साथ काम करते हैं, वो अवश्य विभिन्न तरह की कंप्यूटरों के बारे में जानते होंगे। ये डिजिटल कंप्यूटर भी उन्ही कंप्यूटरों में से एक हैं।

Digital Computer Kya Hota Hai

What is Digital Computer in Hindi?

डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer in Hindi)

Digital Computer Meaning in Hindi – डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer) वह डिजिटल सिस्टम है जो विभिन्न तरह की कई कम्प्यूटेशनल कार्य करता है। डिजिटल शब्द का मतलब है कि कंप्यूटर में जानकारी को Variables द्वारा दर्शाना, जो की ये सीमित संख्या होती हैं और कंप्यूटर शब्द का मतलब है कि, संगणक या गणना करना, इसलिए आम भाषा मे इसे कैल्कुलेटिंग डिवाइस माना जाता है। डिजिटल कंप्यूटर में Input तौर पर दिए गए Details को डाटा कहा जाता है। डिजिटल कंप्यूटर से प्राप्त आउटपुट परिणाम को अक्सर सूचना या जानकारी कहा जाता है। डिजिटल कंप्यूटर Input डाटा लेता है, तब इसे प्रोसेस करता है इसके बाद सूचना या परिणाम को आउटपुट डिवाइस पर दिखाता है।

वर्तमान समय में, कंप्यूटर की परिभाषा बदल गयी है क्योंकि अब कंप्यूटर का उपयोग केवल गणना करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका उपयोग वीडियो, म्यूजिक, ग्राफिक्स, इंटरनेट कामों इत्यादि बहुत से अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी सरलता से किया जा रहा हैं। इसलिए इसे अब एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कहते हैं।

Digital Computer का प्रयोग दुनिया भर मे किया जाता है और यह एक बहुत ही पॉवरफुल डिवाइस है और सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। यह एक ऐसा मशीन या उपकरण है, जो किसी भी तरह की डेटा जानकारी को मशीनी भाषा मे बदलकर प्रोसेस करता है। इस उपकरण के माध्यम से हम कम्प्यूटर मे जब भी कुछ डाटा इनपुट करते हैं तो हमे ये कुछ सेकंड के अंदर आउटपुट दे देता हैं।

डिजिटल कम्प्यूटर बाइनरी नंबर सिस्टम का इस्तेमाल करता हैं, जिसमें दो अंक (Digits) होते हैं- 0 और 1. कंप्यूटर में डेटा की सबसे छोटी इकाई एक Bit होती है। एक Binary Digit को एक Bit कहा जाता हैं। डिजिटल कंप्यूटर में सूचनाओं को Bits के समूहों में दर्शाया जाता है।

सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर 1940 दशक की अंत में खोजा गया था और इसका प्रयोग मुख्य रूप से संख्यात्मक गणना के लिए बनाया गया था। कम्प्यूटर में जो भी शब्द लिखे होते है कम्प्यूटर उसे बाइनरी भाषा मे बदल देता है इसी कारण कंप्यूटर और मनुष्य एक दूसरे के साथ Communicate करते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर के कुछ बेसिक उदाहरण है जैसे- पर्सनल कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप, स्मार्टफोन, मोबाइल, डिजिटल वॉच, कैलकुलेटर आदि।

डिजिटल कंप्यूटर में मुख्यतः तीन भाग होते हैं जो नीचे दिए निम्न शामिल हैं-

Input: जब भी यूज़र सामान्य रूप से डिवाइस में डेटा टाइप करता है, तो उसे इनपुट के रूप में जानते हैं।

Processing: यूज़र द्वारा इनपुट किया गया डेटा परिभाषित Sequence का उपयोग करके डिवाइस के आंतरिक भाग में प्रोसेस करता हैं।

Output: जब डेटा पूरी प्रोसेस हो जाता है तो, इनपुट के आधार पर आउटपुट परिणाम यूज़र को दिखा देता हैं।

डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार (Types of Digital Computer in Hindi)

डिजिटल कंप्यूटर ऐसा डिवाइस है जिससे अपने अनुसार आउटपुट पाने के लिए प्रोग्राम करने की आवश्यकता होती है। यह कई अलग-अलग प्रकार के डेटा को Generate करने, स्टोर करने और प्रोसेस करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तकनीक का प्रयोग करता है। डिवाइस के साइज और प्रकार के आधार पर, डिजिटल कंप्यूटरों को निम्न चार श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं।

  1. Microcomputer
  2. Minicomputer
  3. Mainframe computer
  4. Supercomputer

Micro Computer

आमतौर पर माइक्रो कंप्यूटर को पर्सनल कंप्यूटर कहा जाता है। माइक्रो कंप्यूटर वे कम्प्यूटर होते है जो अपने लिए सामान्य कार्य करने हेतु प्रयोग करते है। आजकल छोटे से लेकर बड़े व्यापार तक और अपने निजी कार्यों में माइक्रो कम्प्यूटर का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा रहा हैं।

ये कम्प्यूटर माइक्रोप्रोसेसर पर कार्य करता हैं। इसके अंतर्गत इनपुट यूनिट/आउटपुट यूनिट, स्टोरेज यूनिट, मदरबोर्ड और सीपीयू (Central processing Unit ) अन्य उपकरण होते है। इस कम्प्यूटर का आकार छोटा होता हैं और साथ ही इसकी लागत भी कम होती है। पेंटियम माइक्रोप्रोसेसर के आधार पर, IBM PC, Dell, HP, Apple मैकिंटोश माइक्रो कंप्यूटर के निम्न उदाहरण हैं। माइक्रो कंप्यूटर में जैसे- कम्प्यूटर या लैपटॉप, डेस्कटॉप कम्प्यूटर, नोटबुक, हैंडहेल्ड कम्प्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट डिवाइस शामिल हैं।

Mini Computer

मिनीकंप्यूटर एक मध्यम आकार का मल्टीप्रोसेसिंग कम्प्यूटर है जिसे मिड-रेंज कम्प्यूटर के रूप में जाना जाता है। इसमे दो या दो से अधिक प्रोसेसर होते हैं इसलिए यह समान Computer Memory और Peripheral Devices को कई उपयोगकर्ताओं के एक साथ साझा कर सकते है। इसमे माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम प्रोसेस क्षमता होती है।

मिनी कंप्यूटर, मेनफ्रेम कम्प्यूटर और माइक्रो कंप्यूटर के मध्य स्थित होता है क्योंकि यह माइक्रो कंप्यूटर से बड़ा लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से छोटा होता है। मिनीफ्रेम कंप्यूटर का इस्तेमाल अधिकतर बड़े संस्थानों, ट्रैफिक कंट्रोल क्षेत्र, विभागों में बिलिंग, बैंकों, बड़ी-बड़ी कंपनियों, अकाउंटिंग, डेटाबेस मैनेजमेंट, फ़ाइल मैनेजमेंट, व्यापार लेनदेन और इन्वेंट्री प्रबंधन जैसे कामों में किया जाता है। मिनीकंप्यूटर के उदाहरण- DEC PDP, VAX Series, Apple iPad, IBM’s AS/400e, Honeywell200 इत्यादि।

Mainframe Computer

आमतौर पर मेनफ्रेम कंप्यूटर बहुत बड़े आकार की होती हैं। जिन्हें रखने के लिए एक अलग से कमरे या अलग से स्थान की जरूरत पड़ती है। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से बहुत बड़ी मात्रा में Data Processing के लिए किया जाता है तथा इसकी डाटा स्टोर क्षमता बहुत ही अधिक होती है। मेनफ्रेम कंप्यूटर बड़े स्तर की विश्वसनीयता के लिए भी जाना जाता है। मेनफ़्रेम कंप्यूटर Micro Computer और Mini Computer की तुलना मे बड़े होते है और ये अधिक शक्तिशाली एवं इसकी प्रोसेसिंग क्षमता काफी तेज होती है। परंतु ये कम्प्यूटर, सुपर कंप्यूटर से ज्यादा शक्तिशाली नहीं होते है।

मेनफ्रेम कंप्यूटर इस तरह से डिज़ाइन किया गया है की, इसे सैकड़ों या हजारों उपयोगकर्ता एक साथ एक्सेस कर सकते है। इसका मतलब है कि एक साथ विभिन्न प्रक्रियाओं को Execute कर सकते हैं। इस तरह के कम्प्यूटर का इस्तेमाल बड़े संगठनों जैसे- बैंकिंग, टेलीकोम सेक्टर, बड़े-बड़े उद्योग कंपनी, सरकारी विभाग और विभिन्न क्षेत्रों मे किया जाता है। मेनफ्रेम कम्प्यूटर उदाहरण- IBM zSeries जैसे IBM z15, IBM z14, IBM System z13 इत्यादि।

Super Computer

सुपर कंप्यूटर जैसा की आप इसके नाम से ही समझ गये होगें, यह बहुत तेजी से काम करता है। सुपर कम्प्यूटर दुनियां का सबसे बड़ा, सबसे फ़ास्ट और महंगा कम्प्यूटर है। यह एक बहुत ही एडवांस कम्प्यूटर हैं तथा इस कंप्यूटर मे हजारों प्रोसेसर मौजूद होते हैं, जो प्रति सेकंड खरबों की गणनाएँ करता हैं, इसलिए इसकी कार्य करने की क्षमता दूसरे कम्प्यूटर की तुलना में सबसे अधिक होती है।

यह कम्प्यूटर इंडस्ट्री में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे कई कंप्यूटरों का संयोजन भी कहा जा सकता है जो Parallel में डाटा प्रोसेसिंग करते हैं। सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर कम्प्यूटर से संबन्धित जटिल काम करने के लिए किया जाता है जैसे- वैज्ञानिक क्षेत्र, उपग्रह या अंतरिक्ष विभाग, मौसम की भविष्यवाणी और जलवायु जांच, परमाणु ऊर्जा रिसर्च, ऑइल व गैस निरीक्षण, शिक्षा क्षेत्र, इंजीनियरिंग क्षेत्रों इत्यादि। भारत मे परम सी-डैक द्वारा विकसित स्वदेशी सुपर कंप्यूटर्स की एक श्रृंखला है। भारत का पहला Super Computer का नाम “परम 8000” है और इस श्रृंखला में बने नवीनतम सुपर कम्प्यूटर का नाम “PARAM-Siddhi AI” हैं, जो विश्व में सबसे पावरफुल सुपर कंप्यूटर के टॉप 500 की लिस्ट मे भारत का 63वां स्थान हैं। दुनिया के सबसे तेज़ कंप्यूटरों का उदाहरण Sierra (US), Sunway TaihuLight (China), Frontera (US), और Summit (US) आदि हैं।

कंप्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computer in Hindi)

Computer Classification in Hindi: कार्य, आकार और क्षमता के आधार पर कंप्यूटर का वर्गीकरण Analog, Digital और Hybrid कम्प्यूटरों में किया गया है। हर एक श्रेणी का प्रयोग अपने खास उद्देश्य के लिए किया जाता है और इसका अपना एक महत्व होता हैं।

Analog Computer

Analog Computer मुख्य रूप से विद्युत सिग्नल के साथ वोल्टेज और करंट पर आधारित होते हैं और आउटपुट को लगातार दिखाते रहते हैं। आमतौर पर डिजिटल कम्प्यूटर की अपेक्षा एनालॉग कम्प्यूटर की गति धीमी होती है। जैसे- थर्मामीटर, वोल्टमीटर, गतिमीटर। यह कम्प्यूटर Data को स्टोर करते है तथा डिजिटल कंप्यूटरों की अपेक्षा बहुत अलग तरीके से गणना करते हैं जो डाटा डिस्प्ले के लिए Symbolic तरीके का इस्तेमाल करते हैं।

Digital Computer

डिजिटल कंप्यूटर वह Computer होते हैं जो Data को बाइनरी रूप में अथार्त 0 और 1 डिजिट में कार्य करते हैं। इसका मुख्य लाभ यह है की ये तुरंत और पुनः प्रोग्राम करने योग्य हो जाते है। वर्तमान में इसी तरह की कम्प्यूटर प्रचलित है जैसे इसके कुछ उदाहरण स्मार्टफोन, टैब, लैपटॉप और कैलकुलेटर हैं।

Hybrid Computer

हाइब्रिड कंप्यूटर कोई विशेष कार्य करने के उद्देश्य से बने होते हैं ये Computer अधिक विश्वसनीय और अनेकों गुणों से युक्त होते हैं। ये एनालॉग और डिजिटल कम्प्यूटर दोनों को मिलाकर बना होता है, इसलिए इसे Hybrid Computer कहा जाता हैं। आमतौर पर वैज्ञानिक ऍप्लिकेशन्स, हवाई जहाज, बड़े उद्योगों और अस्पतालों के लिए प्रयोग किए जाते हैं। इसके कुछ उदाहरण ट्रैफिक कंट्रोल, मेडिकल क्षेत्रों, मौसम, अल्ट्रासाउंड मशीन, मॉनिटरिंग मशीन आदि हैं।

डिजिटल कंप्यूटर की विशेषताएं (Features or Characteristics of Digital Computer in Hindi)

Memory Capacity: डिजिटल कंप्यूटर अत्यधिक मात्रा में डाटा या इन्फॉर्मेशन मेमोरी में स्टोर कर सकते हैं और मात्र एक सेकंड के अंदर ही डाटा को पुनः Retrieve कर सकते हैं। मेमोरी मे डाटा या सूचनाओं को किसी भी समय तक स्टोर करके रख सकते हैं तथा कभी भी पुनर्प्राप्त या वापस एक्सेस कर सकते हैं, जैसे हार्डडिस्क, सॉलिड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, ऑप्टिकल डिस्क इत्यादि।

Very Flexible: यह कम्प्यूटर बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के मल्टी-टास्किंग करते हैं अथार्त एक साथ बहुत सारे कार्य प्रोसेस करते हैं जैसे- डॉक्यूमेंट ड्रॉफ्टिंग के दौरान कोई पेज प्रिंट निकालना, म्यूजिक सुनना, चैट करना इत्यादि। इसलिए ये बहुत Flexible और Versatile होते हैं।

Good Speed: डिजिटल कंप्यूटर काफी हाई स्पीड में कार्य करती हैं और सभी कार्यों या निर्देशों को पल भर में उच्च गति से प्रोसेस करते हैं। ये किसी कार्य या निर्देश को सेकण्ड के एक भाग में ही हल कर सकता हैं।

Accuracy: यह डिवाइस सभी इन्फॉर्मेशन डेटा को मेमोरी में स्टोर करने में सहायक होते हैं जो एक निश्चित समय में जरूरत पड़ने पर Accurate डेटा प्राप्त करने मे सहायता करते हैं। कम्प्यूटर कोई गलती किये बिना पूरा एकदम सही-सही गणनाएँ करता है। इसमे कोई गलती तभी आती है जब व्यक्ति द्वारा गलत इनपुट या निर्देश दिए गये हो।

Diligence: कम्प्यूटर बिना थके किसी कार्य को लगातार कर सकता है। इसे कभी भी किसी भी तरह की कमजोरी अथवा थकान नहीं होती हैं जिससे ये किसी कार्य को बिना किसी गलती या रुकावट के लगातार कर सकता हैं। इसलिए कम्प्यूटर की इस क्षमता के कारण मानव कार्य प्रगति में काफ़ी विकास हुई हैं।

Automatic: ये डिवाइस एक बार शुरू हो जाने के बाद स्वचालित हो जाते हैं। जब तक विशेष रूप से कोई कार्य आवश्यक होने तक उन्हें किसी हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं पड़ती।

डिजिटल कंप्यूटर के भाग (Components of Digital Computer in Hindi)

अब जानते है, कंप्यूटर के कितने भाग या कॉम्पोनेंट होते हैं? डिजिटल कंप्यूटर में बेसिक Component निम्नलिखित हैं:-

Input Device

इनपुट डिवाइस ख़ास तौर पर वह डिवाइस होते हैं जो सिस्टम से जुड़े होते हैं जैसे कि माउस, कीबोर्ड, प्रिंटर, माइक्रोफोन और स्कैनर इत्यादि। उपयोगकर्ता इनपुट डिवाइस की मदद से सिस्टम को निर्देश देते है व कम्प्यूटर इन निर्देशों को समझकर Action लेता है, इसके बाद इस इनपुट को कम्प्यूटर बाइनरी लैंग्वेज में बदलता है जो कम्प्यूटर द्वारा समझने में आसानी होती हैं।

CPU

CPU सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट है, जिसे कम्प्यूटर का दिमाग माना जाता है क्योंकि यह पूरे कंप्यूटर सिस्टम को नियंत्रित करने का कार्य करता हैं। जब यूज़र इनपुट डिवाइस के माध्यम से इनपुट करता है, तो CPU उसे प्रोसेस करता हैं अथार्त CPU कम्प्यूटेशनल कार्य करता है इसके बाद रिजल्ट आउटपुट डिवाइस को भेजता है। CPU के अंदर कई अलग-अलग Components होते हैं, जिनके कार्य की अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं।

ALU

इसका फुलफोर्म Arithmetic Logic Unit है, यह कंप्यूटर हार्डवेयर का एक Digital Circuit होता है। ALU का मुख्य रूप से सभी Arithmetic, Logical और Mathematical गणनाओं का कार्य करता है, जिसमें जोड़ना, घटाना, गुणा और भाग सम्मिलित हैं।

Control Unit

कंट्रोल यूनिट का मुख्य रूप से कार्य डेटा और निर्देशों को कंट्रोल करने हेतु किया जाता हैं। यह कम्प्यूटर के सभी Units को मैनेज और Coordinate करता है। कंट्रोल यूनिट मेमोरी से निर्देश प्राप्त करता है, उसे Interpret करता है, और फलस्वरूप इसके बाद इनपुट/आउटपुट उपकरणों को निर्देश भेजता हैं।

Memory

कम्प्यूटर के इस भाग का इस्तेमाल मुख्य रूप से डाटा को स्टोर करने के लिए करते है, इसे “Internal Memory” भी कहते हैं। इंटरनल मेमोरी को कई Locations में बांटा गया है जो निर्देशों को स्टोर करते हैं। इनमे से प्रत्येक Location का Unique Address एवं समान साइज होता हैं। कम्प्यूटर इस Unique Address की मदद से मेमोरी में स्टोर हुए डेटा को पूरे मेमोरी लोकेशन को सर्च किये बिना आसानी से Read कर लेता हैं। जब भी कोई प्रोग्राम Run करता है, तो डेटा इंटरनल मेमोरी में स्टोर होता है और Execution के अंत तक बचा रहता हैं।

Output Devices

आउटपुट डिवाइस वह डिवाइस हैं जो कम्प्यूटर से कनेक्टेड होते हैं तथा इसके माध्यम से सूचनाओं को विभिन्न आउटपुट डिवाइस पर देख एवं एक्सेस कर सकते हैं। कम्प्यूटर में बाइनरी डेटा को उस भाषा में परिवर्तित करते हैं जिसे कम्प्यूटर उपयोगकर्ता आउटपुट डिवाइस पर समझते हैं। कम्प्यूटर मे आउटपुट 0 और 1 के रूप में प्रदर्शित करता है जिसे कम्प्यूटर की भाषा मे Machine Language कहते हैं। कुछ आउटपुट डिवाइस की सामान्य उदाहरण जैसे- हार्डडिस्क, प्रोजेक्टर, मॉनिटर, प्लॉटर और प्रिंटर आदि हैं।

डिजिटल कंप्यूटर के उपयोग (Use Of Digital Computer in Hindi)

  • इसका इस्तेमाल गणितीय गणनाओं, कम्प्यूटेशनल कार्य, स्पेसक्राफ्ट, स्वास्थ्य डोमेन, स्कूलों, कॉलेजों, बड़े या छोटे आर्गेनाइजेशन, कारखानों इत्यादि स्थानों पर किया जाता है।
  • इसका इस्तेमाल लगभग सभी जगह फोटो, म्यूजिक, वीडियो, ऍप्लिकेशन्स, डॉक्यूमेंट और अन्य फ़ाइलों को स्टोर करने हेतु किया जाता है।
  • डिजिटल कंप्यूटर इंडस्ट्रियल तथा मैनुफैक्चरिंग प्रक्रिया को कंट्रोल करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
  • कारखानों में, ऑटोमैटिक मशीनों को चलाने हेतु एक ही समय पर कई कामों को किया जा सकता है।
  • यह बड़ी मात्रा में Data स्टोर कर सकता है और Data को तीव्र गति से पुन: र्प्राप्त कर सकते है।
  • उपयोगकर्ता बिना किसी हस्तक्षेप के मल्टीटास्किंग कार्य कर सकते हैं।
  • इसकी प्रोसेस करने क्षमता गति बहुत अधिक और सेकंड के अंदर ही टास्क परफॉर्म करता हैं।

कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi)

Computer History in Hindi: कंप्यूटर का इतिहास हज़ारों साल पहले गणना करने हेतु ‘अबेकस‘ का प्रयोग किया गया था, जिसे पहला कंप्यूटर माना जाता हैं। इसके बाद गणना करने हेतु Blaise Pascal द्वारा निर्मित Pascaline Calculator जैसे बहुत से मैंकेनिकल डिवाइसों का आविष्कार किया गया था। परन्तु किसी भी डिवाइस में मेमोरी इस्तेमाल नही हुआ था जिस कारण ये सफल नहीं हुआ। तत्पश्चात अठारवीं शताब्दी की शुरुआत में चार्ल्स बैवेज (Charles Babbage) ने ‘एनालिटिकल इंजन‘ और ‘डिफरेंस इंजन‘ नाम की मशीन का आविष्कार किया जिसमे मेमोरी का प्रयोग हुआ था। इन्ही के विचारों से आधुनिक कंप्यूटर के भविष्य की शुरुआत हुई थी। चार्ल्स बैबेज ने पहले यांत्रिक कंप्यूटर का निर्माण किया था, इसलिए इनको “कंप्यूटर का पितामह” कहा जाता है।

Generation of Computer 1st to 5th in Hindi

कंप्यूटर का इतिहास बहुत साल पुराना है। इसकी मुख्य पांच पीढ़िया हैं। हर एक पीढ़ी में कई तकनीकी विकास हुए हैं जो कंप्यूटर की कार्य क्षमता को बदलकर रख दिया हैं। कंप्यूटर के पीढ़ी की संक्षिप्त रूप से नीचे चर्चा की गई है:-

#First Generation of Computer in Hindi

कंप्यूटिंग युग के शुरुआती वर्षों में, कंप्यूटर की पहली पीढ़ी (1st Generation of Computer in Hindi) 1940-1956 में विकसित हुई थी, जिसे “वैक्यूम ट्यूब” नाम दिया गया था। इस पहले कम्प्यूटर जनरेशन की तकनीक से किसी कार्य को Execute करने और आउटपुट परिणाम प्राप्त करने में सप्ताह लग जाते थे। पहले इनपुट पाने के लिए पंच कार्ड इस्तेमाल होता था और आउटपुट को प्रिंटआउट किया जाता था।

पहली पीढ़ी की कंप्यूटर का उदाहरण “ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer)” है। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में मेमोरी के लिए Vacuum Tube का प्रयोग होता था। Vacuum Tube की वजह से ये कम्प्यूटर आकार में बड़े, कम मेमोरी वाले और बिजली का खर्च अधिक करते थे। पहली पीढ़ी के कुछ विशेष कम्प्यूटर के उदाहरण EDSAC, UNIVAC, UNIVAC -1, IBM -701, IBM 650 हैं।

#Second Generation of Computer in Hindi

कंप्यूटर की दूसरी पीढ़ी (2nd Generation of Computer in Hindi) 1956 से 1964 के बीच आयी थी। इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया गया था, जो Vaccum Tube से अधिक बेहतर था। पहले पीढ़ी की तुलना में ट्रांजिस्टर फ़ास्ट, सस्ता, विश्वसनीय और छोटे होते थे। लेकिन इसके आउटपुट के लिए (पंच कार्ड और प्रिंटआउट) पहले पीढ़ी के समान ही इस्तेमाल होता था। इस पीढ़ी की कम्प्यूटर में उच्च स्तरीय भाषा FORTRAN और COBOL का प्रयोग किया गया। द्वितीय पीढ़ी के कम्प्यूटर उदाहरण IBM 7094, UNIVAC 1108, Honeywell 400, CDC 1604, CDC 3600 हैं।

#Third Generation of Computer in Hindi

कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ी (3rd Generation of Computer in Hindi) 1964 से 1971 तक के बीच आयी थी। तीसरी पीढ़ी आने से कम्प्यूटर क्षेत्रों में काफी विकास होने लगा था। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ट्रांजिस्टर के बदले इंट्रीग्रेटेड सर्किट (IC) का इस्तेमाल होने लगा था। तीसरी पीढ़ी की कम्प्यूटर द्वितीय पीढ़ी की तुलना में अधिक विश्वसनीय, आकार छोटे और कार्य करने की प्रोसेस क्षमता फ़ास्ट हो गयी। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर को नियंत्रित करने के लिए उच्च स्तरीय भाषा के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाने लगा तथा इसमें इनपुट व आउटपुट के लिए कीबोर्ड और मॉनिटर का प्रयोग होने लगा। तृतीय पीढ़ी के कम्प्यूटर उदाहरण PDP-1, PDP-5, PDP-8, ICL 2903, ICL 1900, UNIVAC 1108 हैं।

#Fourth Generation of Computer in Hindi

कंप्यूटर की चौथी पीढ़ी (4th Generation of Computer in Hindi) सन 1971 से 1985 के बीच की कम्प्यूटर में इंट्रीग्रेटेड सर्किट (IC) चिप के स्थान पर VLSI (Very Large Scale Integrated) चिप का इस्तेमाल किया गया, जिसे “माईक्रोप्रोसेसर” कहा जाता हैं। यह आकार में छोटे, विश्वसनीय एवं स्मार्ट कंप्यूटर थे जो और अधिक शक्तिशाली थे। इसे एक अलग Input और Output डिवाइस से कनेक्ट किया जा सकता है। आख़िरकार ये नेटवर्क से कनेक्ट होने में सक्षम हुए तथा इंटरनेट का विकास हुआ।

VLSI के इस्तेमाल होने से सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) को एक ही चिप पर इस्तेमाल करना सम्भव हुआ। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI) पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) का इस्तेमाल किया गया। यह अर्थमेटिक और लॉजिकल कार्य करने के लिए काफी सरल थे। चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर उदाहरण IBM 4341, DEC 10, STAR 1000, ZX – Spectrum, PDP 11, Macintosh, CRAY-1 (Super Computer) हैं।

#Fifth Generation of Computer in Hindi

कंप्यूटर की पाँचवी पीढ़ी (5th Generation of Computer in Hindi) सन 1985 के बाद से आज तक और भविष्य में आने वाले सभी कम्प्यूटरों को पाँचवी पीढ़ी के अन्तर्गत रखा गया है। कम्प्यूटर की पांचवीं पीढ़ी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित कंप्यूटिंग डिवाइस हैं। इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके बुद्धिमान बनाने की कोशिश की जा रही हैं जिससे Voice Recognition, इमेज कंट्रोलिंग और पैरेलल प्रोसेसिंग का कार्य काफी तेज गति से किया जा सकें तथा इसकी डाटा स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती हैं।

पाँचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर में VLSIC के स्थान पर ULSIC (Ultra Large Scal Integrated Circuit) चिप का माइक्रोप्रोसेसर के रूप में इस्तेमाल किया गया हैं। इस नये टेक्नोलॉजी से चौथी पीढ़ी की अपेक्षा माइक्रोप्रोसेसर के आकार और कार्य करने की क्षमता में काफी वृद्धि हुई हैं। Artificial Intelligence कम्प्यूटर जगत विज्ञान की एक उभरती हुई शाखा है, जो कम्प्यूटर को इंसानों की तरह सोचने के तरीके और कार्यों की व्याख्या करती हैं। कंप्यूटर की पाँचवी पीढ़ी का इस्तेमाल किये जाने वाले सभी उच्च-स्तरीय भाषाओं जैसे C, C++, Window 95, Visual Basic, Java, .Net, Python इत्यादि हैं। कंप्यूटर की पाँचवी पीढ़ी के उदाहरण Desktop, Laptop, NoteBook, UltraBook, ChromeBook, Param (सुपर कम्प्यूटर)

संक्षेप में:

हाँ तो दोस्तों उम्मीद है की, आज की यह पोस्ट, डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer in Hindi) पसंद आई होगी। इसके साथ ही, डिजिटल कंप्यूटर के प्रकार, कंप्यूटर के कितने भाग होते हैं, कंप्यूटर का वर्गीकरण, डिजिटल कंप्यूटर के कार्य इत्यादि की जानकारी आपको इस ब्लॉग द्वारा मिली। आशा है कि मेरे द्वारा दी गयी जानकारी Digital Computer Kya Hai आपके लिए ज्ञानवर्धक व उपयोगी साबित होगी।

जैसा कि आपने इस पोस्ट से जाना, वर्तमान समय डिजिटल कंप्यूटर का युग है और ये सभी क्षेत्रों में बहुत अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान और इंजीनियरिंग प्रयोग के अलावा, इसका इस्तेमाल स्वचालित इंडस्ट्रियल प्रक्रियाओं, परिवहन सिस्टम और अन्य सांख्यिकी डाटा का विश्लेषण करने हेतु भी किया जाता हैं। डिजिटल कंप्यूटर बिना थके कुशलतापूर्वक, सटीक रूप से कार्य करता हैं।

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5 thoughts on “What is Digital Computer in Hindi | डिजिटल कंप्यूटर क्या है | Tech Karya

  1. Sultan singh

    You have shared completed Information About what is digital computer.

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